लोक सभा २०२४ के लोकसभा ने फिर से स्थापित कर दिया कि देश में राजा वही होगा जो जनता की सुनता है और आमजनों के दुखदर्द को समझता हैl प्रधानमंत्री को जनता के मुताबिक चलना है न की मनमरजी से, हर दुःख तकलीफ में उन्हें जनता के पास जाना है न कि जनता को उनके दरबार में आकर गुहार लगाना हैl बिना जनता से पूछे न तो उसके नोट बदलने है न ही कोविड जैसे बुरे दिनो में ट्रेन रोकनी हैl बमुश्किल जनता ने पांच साल काटेl
एक्जिट पोल कितने गलत थे इस चुनाव ने साबित कर दिया, एक दिन में शेयर बाज़ार ६००० पॉइंट बड़ा दिए तो दुसरे दिन असली वोट गिनतीं ने ५००० पॉइंट नीचे भी ला दियाl
इस चुनाव में सबसे बड़ी उपलब्धि एक नये नेतृत्व का सामने आना हैl जिन का वर्षों से मजाक उड़ाकर पप्पू कहा, उसी राहुल गाधीं ने जनसैलाब से नाता जोड़कर एक नए लोकतंत्र को आगे बढाया और इस चुनाव में सबसे प्रताड़ित मुस्लिम समाज ने उद्धव ठाकरे की शिवसेना को दिल खोलकर वोट दिया और भाजपा के सहयोगी शिंदे को रास्ता दिखा दियाl ब्रेक लगेगा अपशब्दों पर और शायद ट्रोल पर भी l
लेख एक नज़र में
यह लेख २०२४ के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर टिप्पणी करता है। चुनाव ने साबित कर दिया कि देश में राजा वही होगा जो जनता की सुनता है और आमजनों के दुखदर्द को समझता है।
प्रधानमंत्री को जनता के मुताबिक चलना है, न की मनमरजी से। चुनाव में सबसे बड़ी उपलब्धि एक नये नेतृत्व का सामने आना है, जिसने जनसैलाब से नाता जोड़कर एक नए लोकतंत्र को आगे बढ़ाया।
जनता ने स्पष्ट कर दिया कि वह प्रधानमंत्री चाहती है, न सेवक, न चौकीदार, न भगवान न गुलाम। वह चाहती है कि प्रधानमंत्री उसके पास पहुँचे और उसके दुखदर्द को समझे।
दोनों गठबंधनों के बीच कुल ६० सीटों का फर्क है और इसने साबित कर दिया कि मुल्क पिछले सरकार के तरीकों से इत्तेफ़क़ नहीं रखती है l भाजपा खुद 240 पर सिमट गयी. ६३ सीटों का नुकसान हुआ l I.N.D.I.A. ने उत्तर प्रदेश में ४३ सीटे जीती, समाजवादी ने ३७ सीटें जीती और कांग्रेस ने ६, तमिलनाडु में ३९ सीट डीएम्के ले गयी l राज्यवार चुनाव में ओडिसा में बाजी पलटना कई सवालों को जन्म देता है l
बिहार में नितीश को भाजपा से ज्यादा सीट मिलना भी एक खतरा है l वे प्रधानमंत्री बनना चाहते है? क्या उन्हें एनडीए प्रधानमंत्री बनाएगा या वे इंडिया की और रूख करेंगे ? कुछ कहा नहीं जा सकता है l
जनता को कोविड के दौरान मनमरजी ट्रेन बंद करना रास नहीं आया, न हीं सड़क चलते १८ करोड़ गरीब पर केमिकल डालकर उनकी सफाई l अपने दोस्तों का ख्याल राजा रख सकता है पर जनता जनार्दन को बलि चढ़ा कर नहीं l जनता को मुफ्त भोजन नहीं चाहिए पर सस्ते उचित मूल्यों पर सामान उसे चाहिये l उसे यह मतलब नहीं कि राजा कैपिटलिस्टो को शर्मायेदार है या समाजवादी. वह सबसे तालुक रख सकता है पर अगर कुछ बड़े घराने का वह गुलाम होगा तो जनता तो उसे पटखनी देने की ताकत रखती है l उसे प्रधानमंत्री चाहिए न सेवक, न चौकीदार, न भगवान न गुलाम l उसने प्रधानमंत्री चुना और उस तक पहुँचने का अधिकार सभी को चाहिए l उसे किसी कैडर के जरीय अपने प्रधानमंत्री तक नहीं पहुंचना है l
किसी ने शायद ही सोचा होगा राम का मुद्दा तो सियाराम को भी पसंद नहीं आया और फैजाबाद (अयोध्या) में समाजवादी पार्टी ने राम के चेलों का विरोध करते हुए काबिज हो गया. फैजाबाद सीट पर सपा के अवधेश प्रसाद ने बीजेपी प्रत्याशी लल्लू सिंह को 48104 वोट से हरा दिया.
भाजपा का फोकस सिर्फ अयोध्याधाम पर : भाजपा ने अयोध्या धाम विकास पर सबसे ज्यादा फोकस किया l सोशल मीडिया से लेकर चुनाव-प्रचार में अयोध्या धाम में हुए विकास कार्यों को बताया गया लेकिन अयोध्या के ग्रामीण या फैजाबाद शहर पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया l ग्रामीणों ने और फैजाबाद्वासिओं ने इसी आक्रोश के चलते बीजेपी के पक्ष में मतदान नहीं किया l
इलाहाबाद, जो मनुपुत्री इला की नगरी है, और अयोध्या में पथ निर्माण के लिए तोड़े गये जमीन का अधिग्रहंण किया गया, कई लोगों के दुकान, मकान तोड़े गए, लेकिन मुआवजा नहीं दिया गया. ऐसा बनारस में भी हुआ और अब वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर के आस पास भी किया जा रहा है l इसकी नाराजगी चुनाव परिणाम में साफ़ नजर आ रही है l बनारस में इन सब कारणों से कांग्रेस के अजय राय बस 1.52 लाख वोट से हार गए l
यह वोट बुलडोज़र के खिलाफ भी है और झूठे एनकाउंटर के खिलाफ भी है l यह किसानों पर लखिमपुर में गाड़ी से रौंदने वाले टेनी के खिलाफ वाले है, किसानों को सताने के खिलाफ है, दिल्ली- ग़ाज़ियाबाद – हरियाणा -अम्बाला में किसानों के रास्ते कील लगाने के खिलाफ है और पहलवान बेटिओं के शोषण के खिलाफ है l
यह वर्तमान सरकार के संदिग्ध आंकड़ो को नहीं मानती है. अगर आज अर्थव्यवस्था विश्व के पांचवे स्थान पर है तो इतनी बेरोजगारी, महंगाई, और मैन्युफैक्चरिंग में इतनी गिरावट क्यों है? विनिर्माण से 1997 के दक्षिण एशिया टूट गया था और 2007-08 के लेहमन जैसे घोटाले ने विश्व में भीषण संकट पैदा की. पर क्या हिंदुस्तान उन्ही रास्तों पर नहीं चल रहा है? विनिर्माण में सबसे ज्यादा कट है. क्या इसीलिए बड़े और अच्छे बने रेल स्टेशन, दिल्ली और अन्य जगहों के भवनों तोडा जा रहा है ?
दक्षिण के तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलन्गाना ने भी इन्ही वजहों से दुसरे तरीके से वोट दिया. कई जगह पर इवीएम् पर शक्क जाहिर किया गया. जिनमे मध्य प्रदेश, गुजरात और छत्तीसगढ़ आते है.
नए सरकार के रास्ते आसान नहीं है. हाँ अब संसद में एकसाथ १४७ सदस्यों को बाहर का रास्ता दिखाना आसान नहीं होगा, न हीं किसी भी प्रकार के संविधान से खिलवाड़ संभव होगा. मुल्क शःयद महफूज़ होगा. और सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्रों गाली गलौज बंद होंगे. कश्मीर से कनाय्कुमारी अब दुसरे अल्लाप लगा रहे है.
अब सरकार कोई भी बने उसे जनहितैषी होना पड़ेगा, नौकरिया देनी होगी, निजी के घोटाले को रोकना पड़ेगा. संसद और भः भी पर्यादित टर्की से रहना हॉट और भाषा पर लगाम लगाना जरूरी है l सामाजिक सौहार्द्य और अल्प्संख्यको से संवाद कायम करना पड़ेगा l
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