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नई दिल्ली, 23 अक्टूबर 2023

2006 के बाद इस हमले को इज़्राईली फ़ोर्सेज़ पर हिज़्बुल्लाह का सबसे बड़ा हमला कहा गया है

लेखक: डॉ॰ सलीम ख़ान

ग़ज़्ज़ा को ख़ाली करने का अल्टीमेटम देनेवाला इज़्राईल अगर अपनी लेब्नान की सरहद से भी शहरियों को हटाने पर मजबूर हो जाए तो समझो कि जंग का रंग बदल रहा है। फ़िल्हाल हिज़्बुल्लाह की तरफ़ से इज़्राईली फ़ौज को जन-धन का भारी नुक़सान पहुँचाने के दावे वीडियो सहित आ रहे हैं और न्यूज़-18 पर ज़ोर-शोर से प्रसारित भी हो रहे हैं। यह गोदी मीडिया में एक अच्छी तब्दीली है। इज़्राईल की लेब्नानी सरहद पर गलीली डिवीज़न में गाईडेड मिज़ाइल से हमला करके हिज़्बुल्लाह ने ख़ुद वीडियो जारी किया। इसके अलावा शीबा फ़ार्म्ज़ और रास नकोरा को निशाना बनाकर भी इज़्राईल के जासूसी यंत्रों को तबाह कर दिया। इस बड़े नुक़सान को इज़्राईली मीडिया ने भी स्वीकार किया। उनके मुताबिक़ हिज़्बुल्लाह ने बरनेत छावनी पर गाईडेड मिज़ाइल से हमला कर के तीन फ़ौजियों को मार डाला और चार को ज़ख़्मी कर दिया। इज़्राईली मीडिया ने यह भी माना है कि यह हमला बिल्कुल सटीक और अचूक था। 2006 के बाद इस हमले को इज़्राईली फ़ोर्सेज़ पर हिज़्बुल्लाह का सबसे बड़ा हमला कहा गया है। इज़्राईली अख़बार इज़्राईल ह्यूम के मुताबिक़ ड्रोन की ख़बर मिलते ही सायरन के बजने से वहाँ के रहनेवाले छिपने के लिए इधर-उधर भागने लगे। इन हमलों का असर यह हुआ कि इज़्राईल को लेब्नानी सरहद के क़रीब बसे हुए शहर से लोगों को निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुँचाने पर मजबूर होना पड़ा।
इज़्राईली फ़ौज ने यह माना है कि वह सरहद के क़रीब उत्तरी शहर क़िरयात शमोना से लोगों को निकाल रही है। यह ख़बर चूँकि इज़्राईल के रक्षा मंत्रालय ने एक्स पर ट्वीट करके दी, इसलिए अफ़वाह कहकर इसका इनकार मुम्किन नहीं है। आईडीएफ़ ने इस बाबत इज़्राईली रक्षामंत्री युवाव गैलंट की मंज़ूरी बताने के बाद कहा कि पलायन करनेवाले लोगों को सरकारी ख़र्च पर चलनेवाले कैम्पों में पहुँचाया गया है। क़िरयात शमोना की आबादी तेईस हज़ार है। आईडीएफ़ फ़िल्हाल लेब्नान की सरहद से सटे दो किलोमीटर इलाक़े में रहनेवालों को हटाने के हंगामी अभियान में व्यस्त है। सहयूनियों पर अब ‘एच’ की दहशत सवार है। वे एक ही वक़्त में हमास, हिज़्बुल्लाह और हूसियों की तरफ़ से गोलाबारी का शिकार हो रहे हैं। इज़्राईल पर हमास ने हमले की शुरुआत करके उसके डर और दहशत सहित घमंड को ख़ाक में मिला दिया। उसके जवाब में जब वह दरिंदगी पर उतर आया तो लेब्नान की सरहद से दूसरा हमला हिज़्बुल्लाह ने कर दिया। इससे पहले कि वह उनसे निमटता, हूसी मिज़ाइल बरसाने लगे और उन्हें रोकने के लिए अमेरिका को मैदान में आना पड़ा। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने लाल सागर में तैनात अपने जंगी जहाज़ यूएसएस कारनी के द्वारा यमन से गए 3 मिज़ाइलों और कई ड्रोन को हवा में मार गिराने का एहसान जता दिया।
इज़्राईल पिछले आधे महीने से ग़ज़्ज़ा की सरहद पर अपनी लाखों फ़ौज तैनात किए हुए है, मगर अंदर दाख़िल होने की जुर्रत क्यों नहीं कर पा रहा है? इस सवाल का जवाब अमेरिकी सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए) के पूर्व डायरेक्टर जनरल डेविड पीटरयास ने अख़बार ‘पोलेटिको’ के इंटरव्यू में दिया। उन्होंने कहा कि ग़ज़्ज़ा की पट्टी पर सम्भावित इज़्राईल का ज़मीनी हमला बरसों तक जारी रहेगा और इसमें ‘ख़ौफ़नाक’ लड़ाई शामिल होगी। मौत के ख़ौफ़ से थर-थर काँपने वाले इज़्राईल के लिए यह वार्निंग ख़तरनाक है। डेविड पीटरयास ने इज़्राईल की ज़मीनी घुसपैठ में ‘आत्मघाती’ हमलों, विस्फोटक यंत्र, बम, और गोरिल्ला कार्रवाईयों के ख़तरे बताए। इराक़ और अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी फ़ौजों के साथ काम करनेवाले पूर्व कमांडर की यह नसीहत उनके निजी अनुभवों की बुनियाद पर है। इन दोनों देशों से अमेरिका को हारकर भागना पड़ा था। उन्होंने अपने इंटरव्यू में इज़्राईली फ़ौज को ख़बरदार किया कि अगर वह ज़मीनी घुसपैठ के लिए आगे बढ़ती है तो उसे कई साल तक लड़ाई लड़नी पड़ सकती है।
डेविड पीटरयास ने यह भी कहा कि “मैं इन लोगों में से एक था जिन्होंने शहरी इलाक़ों के बड़े ऑप्रेशनों में फ़ोर्सेज़ का नेतृत्व किया इसके बावजूद मेरे लिए इससे ज़्यादा मुश्किल स्थिति की कल्पना करना मुश्किल है।” उनके मुताबिक़,  “आप एक या दो साल में बग़ावत पर क़ाबू नहीं पा सकते। इस तरह की कार्रवाईयों में आम तौर पर एक दशक या इससे ज़्यादा वक़्त लगता है।” पीटरयास ने अमेरिकी भरम क़ायम रखने की ख़ातिर यह कहने से गुरेज़ किया कि एक लम्बे संघर्ष के बावजूद इस तरह के अभियान में नाकामी ही हाथ आती है, मसलन वियतनाम, इराक़ या अफ़ग़ानिस्तान वग़ैरा। इसलिए पूर्व फ़ौजी कमांडर ने इज़्राईल को मूल सेवाओं की बहाली, ग़ज़्ज़ा के पुनर्निर्माण और वहाँ गवर्नेंस क़ायम करने के लिए एक योजना की ज़रूरत पर ज़ोर दिया। यह मश्वरा तो उचित है मगर इज़्राईल की समझ में आसानी से नहीं आएगा। ऐसे ही लोगों के मश्वरे की रौशनी में अमेरिकी राष्ट्रपति जोबाईडन ने इज़्राईल को ग़ज़्ज़ा में घुसने से मना किया था और हमास के नेता ख़ालिद मिशअल ने एलान किया था कि तालिबान ने अमेरिका को हराया और हम इज़्राईल को शिकस्त देंगे।
अमेरिका के अंदर सरकारी पॉलिसी के ख़िलाफ़ राय रखनेवाले पीटरसन अकेले नहीं हैं, बल्कि इज़्राईल और फ़िलस्तीन में जारी हिंसा के हवाले से राष्ट्रपति जोबाईडन के द्वारा इज़्राईल को पूरा समर्थन देने पर अमेरिकी विदेश कार्यालय के अंदर मौजूद वर्गों की तरफ़ से सख़्त ग़ुस्से का इज़हार किया जा रहा है। हफ़िंगटन पोस्ट नामक अख़बार की वेबसाइट पर सेक्रेटरी ऑफ़ स्टेट अंटोनी बलंकन और उनके सीनियर सलाहकार पर विदेश मंत्रालय के अंदर पाई जानेवाली मायूसी को नज़रअंदाज करने का इल्ज़ाम लगाया गया है। विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि बलंकन और उनकी टीम को अपने विशेषज्ञों के मश्वरे में कोई दिलचस्पी नहीं है। वे सिर्फ़ ग़ज़्ज़ा में इज़्राईल के फैलते ऑप्रेशन के समर्थन पर ध्यान दे रहे हैं। इसकी वजह यह है कि बलंकन एक इंसान के बजाय यहूदियत की ऐनक से हालात को देख रहे हैं। इसलिए उनपर घबराहट सवार है। विदेश विभाग के एक कर्मचारी ने कहा, “विदेश विभाग में हर सतह पर बग़ावत फैल रही है। ”
हमास को शिकस्त देने में इज़्राईल की मदद करने का संकल्प करनेवाले बाईडन और बलंकन ग़ज़्ज़ा वालों की मुसीबतों और फैले हुए इलाक़ाई विवाद को नज़रअन्दाज़ कर रहे हैं। इसलिए राजनयिक फिर से अपने ख़िलाफ़ दर्ज करने के लिए  अपोज़ीशन केबल तैयार कर रहे हैं। विपक्ष का यह चैनल वियतनाम जंग के बीच गहरी अंदरूनी कश्मकश के दरमियान बनाया गया था। इसके अंदर राजनयिकों ने ख़बरदार किया था कि अमेरिका देश से बाहर ख़तरनाक और ख़ुद को शिकस्त देनेवाले काम कर रहा है। इस केबल से ताल्लुक़ रखनेवाले विदेश विभाग के एक अनुभवी कर्मचारी जोश पाल ने यह कहकर कि हथियारों के सौदों पर एक दशक से ज़्यादा काम करने के बाद वे अख़्लाक़ी तौर पर इज़्राईली जंगी कोशिशों के समर्थन की अमेरिकी कार्रवाई का समर्थन नहीं कर सकते” बुध को इस्तीफ़ा दे दिया। पाल ने यह भी कहा कि पिछले 24 घंटों में वह अपने बहुत से हम-ख़याल साथियों से सम्पर्क में हैं।
हमास को उठते-बैठते आतंकवादी कहकर मिटा देने का एलान करनेवाले अमेरिकी राष्ट्रपति बाईडन ने यह नहीं सोचा कि आख़िर बंधक बने हुए अमेरिकियों की वापसी कैसे होगी? वे शायद इस ख़ुश-फ़हमी में रहे होंगे कि इज़्राईली फ़ौज उनको रिहा करने में कामयाब हो जाएगी, मगर अब अक़्ल ठिकाने आ गई है। हमास की हिरासत में सैकड़ों लोगों में से दो अमेरिकी शहरियों को छुड़ाने के लिए उन्हें नाक रगड़कर हमास से सम्पर्क करना पड़ा। इस बाबत हमास के प्रवक्ता अबू उबैदा ने बताया कि क़तर की मध्यस्थता से एक अमेरिकी महिला जोडेथ ताय रानान और उनकी बेटी निटाली शोशाना रानान को हमास ने इंसानी बुनियाद पर रिहा कर दिया है। इस तरह दुनिया ने देखा कि हैवानियत का प्रदर्शन करनेवालों के साथ भी हमास इंसानियत का सुलूक कर रहा है। इसके विपरीत तथाकथित पश्चिमी सभ्य दुनिया का हैवानी चेहरा भी सामने आया जिसमें न सिर्फ़ सबसे बड़े अस्पताल को तबाह करने के बाद नौ सौ वर्षीय पुराना गिरजाघर ध्वस्त किया, बल्कि संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करनेवाले 17 लोगों के साथ चार हज़ार दो सौ लोगों को शहीद कर दिया गया।
दुनिया-भर के साम्राज्य प्रमुख जब इज़्राईल जा-जाकर अपने सौहार्द का इज़हार कर रहे थे, संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल अन्तोनियो गोत्रेस रफ़ा क्रासिंग पर पहुँच गए। वहाँ उन्होंने इंतिहाई मायूसी का इज़हार करके सवाल किया कि 20 ट्रकों पर आधारित प्रयोगात्मक सहायता क़ाफ़िला ग़ज़्ज़ा की पट्टी में दाख़िल क्यों नहीं हो सका? इस वक़्त तक अमेरिकी राष्ट्रपति जोबाईडन की मध्यस्थता में इज़्राईल और मिस्र के दरमियान होनेवाले समझौते के बावजूद पहल नहीं हुई थी, क्योंकि इज़्राईल का आग्रह था कि इन ट्रकों में सिर्फ़ ख़ुराक, पानी और दवाइयाँ जाएँगी जो हमास तक न पहुँचें, हालाँकि उस इलाक़े में बिजली और ईंधन भी नहीं है। अन्तोनियो गोत्रेस की कोशिश अगले दिन रंग लाई और मिस्र से ग़ज़्ज़ा की पट्टी के लिए रफ़ा क्रासिंग से सहायता ट्रक ग़ज़्ज़ा में दाख़िल होना शुरू हो गए। उनमें दवाइयाँ, चिकित्सा यंत्र और खाने-पीने का सामान मौजूद है। इससे पहले वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम की ऐगज़ेक्टिव डायरेक्टर ने कहा था कि हमारे ट्रक लगभग 5 लाख लोगों को खाना उपलब्ध करने का इंतिज़ार कर रहे हैं, लेकिन हमें ग़ज़्ज़ा तक पहुँचने की इजाज़त नहीं मिल रही है, इसलिए वे वहाँ मौजूद लोगों को सहायता पहुँचाने में असमर्थ हैं। ग़ज़्ज़ावालों की बे सरो-सामानी पर इफ़्तिख़ार आरिफ़ का यह शेर फ़िट बैठता है—
वही प्यास है वही दश्त है वही घराना है
मश्कीज़े से तीर का रिश्ता बहुत पुराना है
——(अनुवादक : गुलज़ार सहराई)

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