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मीडिया मैप न्यूज़

नई दिल्ली | सोमवार | 14 अक्टूबर 2024

र्ष 2017 में गठित तीन सदस्यीय न्यायमूर्ति के. हेमा समिति की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में तहलका मचा दिया है। इस रिपोर्ट ने उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव, शोषण और यौन उत्पीड़न की कई चौंकाने वाली घटनाओं को उजागर किया है। दिसंबर 2019 में केरल सरकार को सौंपी गई यह रिपोर्ट, 19 अगस्त 2024 को कुछ संशोधनों के साथ सार्वजनिक की गई।

न्यायमूर्ति के. हेमा, पूर्व अभिनेत्री शारदा और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी केबी वलसाला कुमारी की सदस्यता वाली हेमा समिति का गठन 2017 में वीमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) द्वारा दायर याचिका के बाद किया गया। इस याचिका में मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न और लैंगिक असमानता के मुद्दों पर ध्यान दिलाया गया था। इस याचिका का मुख्य कारण एक महिला अभिनेता द्वारा कोच्चि में अपने अपहरण और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाना था। इसके बाद WCC की स्थापना हुई।

हेमा समिति की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मलयालम फिल्म उद्योग में यौन संबंधों को लंबे समय से एक सामान्य प्रक्रिया माना गया है। रिपोर्ट में एक शक्तिशाली समूह के अस्तित्व का जिक्र किया गया है, जो पूरे उद्योग पर नियंत्रण रखता है और कास्टिंग काउच की प्रथा को बढ़ावा देता है। इस स्थिति का असर न केवल महिला अभिनेताओं पर बल्कि तकनीशियनों, मेकअप कलाकारों, नर्तकों और अन्य सहायक कर्मियों पर भी पड़ता है।

रिपोर्ट में उद्योग में महिलाओं के लिए असमानताओं की चर्चा भी की गई है, जैसे शूटिंग स्थलों पर शौचालय और चेंजिंग रूम की कमी, सुरक्षित परिवहन और आवास की सुविधा का न होना, जो उनके निजता के अधिकार का हनन करता है। इसके अलावा, महिलाओं के लिए पारिश्रमिक में भेदभाव और अनुबंधों की कमी की भी बात की गई है।



लेख एक नज़र में

वर्ष 2017 में गठित तीन सदस्यीय न्यायमूर्ति के. हेमा समिति की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में तहलका मचा दिया है। इस रिपोर्ट ने उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव, शोषण और यौन उत्पीड़न की कई चौंकाने वाली घटनाओं को उजागर किया है।

 

मुख्य बिंदु:

 

न्यायमूर्ति के. हेमा समिति की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग में यौन संबंधों को लंबे समय से एक सामान्य प्रक्रिया माना गया है।

रिपोर्ट में एक शक्तिशाली समूह के अस्तित्व का जिक्र किया गया है, जो पूरे उद्योग पर नियंत्रण रखता है और कास्टिंग काउच की प्रथा को बढ़ावा देता है।

रिपोर्ट में उद्योग में महिलाओं के लिए असमानताओं की चर्चा भी की गई है, जैसे शूटिंग स्थलों पर शौचालय और चेंजिंग रूम की कमी, सुरक्षित परिवहन और आवास की सुविधा का न होना।

रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद मलयालम फिल्म उद्योग में #MeToo आंदोलन एक बार फिर चर्चा में आ गया है।

सरकार ने वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है, जो यौन उत्पीड़न के आरोपों की प्रारंभिक जांच कर रही है।



रिपोर्ट के सार्वजनिक होने के बाद मलयालम फिल्म उद्योग में #MeToo आंदोलन एक बार फिर चर्चा में आ गया है। कई महिला अभिनेत्रियों ने विभिन्न अभिनेताओं और फिल्म तकनीशियनों पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट को सार्वजनिक होने में पांच साल का समय लगा, और इसके जारी होने के बाद, इंडस्ट्री में अनेकों महिलाओं ने अपने साथ हुए बुरे अनुभवों को साझा करना शुरू किया है।

235 पन्नों की इस रिपोर्ट में गवाहों और अभियुक्तों के नाम छिपाए गए हैं, लेकिन इसमें यौन उत्पीड़न, भेदभाव, नशीली दवाओं का दुरुपयोग, वेतन असमानता और अमानवीय कार्य परिस्थितियों की भयावह घटनाएं शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, मलयालम फिल्म उद्योग कुछ शक्तिशाली पुरुष निर्माताओं, निर्देशकों और अभिनेताओं के नियंत्रण में है।

रिपोर्ट के जारी होने के बाद, सरकार ने वरिष्ठ महिला पुलिस अधिकारियों की एक विशेष जांच टीम (SIT) का गठन किया है, जो यौन उत्पीड़न के आरोपों की प्रारंभिक जांच कर रही है। 2017 में, एक महिला अभिनेता के अपहरण और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने के बाद केरल पुलिस ने अभिनेता दिलीप पर साजिश रचने का मामला दर्ज किया था। इस घटना के बाद इंडस्ट्री में काफी हलचल मच गई, जिससे WCC का गठन हुआ।

रिपोर्ट के बाद, कई महिलाएं, जिनमें से कुछ ने अभिनय छोड़ दिया है, अब खुलकर बोल रही हैं। उन्होंने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कैसे उन्हें करियर में आगे बढ़ने के लिए समझौता करने के लिए मजबूर किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, कास्टिंग काउच की प्रथा ने इंडस्ट्री में गहरी जड़ें जमा रखी हैं। कई गवाहों ने इसके सबूत के रूप में वीडियो क्लिप, ऑडियो क्लिप और व्हाट्सएप संदेशों के स्क्रीनशॉट दिए।

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई महिलाएं शूटिंग के दौरान आवास में सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, क्योंकि नशे की हालत में पुरुष उनके कमरे के दरवाजे खटखटाते हैं। एक घटना का उल्लेख है जहां एक अभिनेत्री को एक दिन बाद उसी व्यक्ति की पत्नी की भूमिका निभानी पड़ी, जिसने उसके साथ दुर्व्यवहार किया था, जिससे उसे गहरा आघात पहुंचा।

समिति की सिफारिश है कि सरकार एक उचित कानून बनाए और सिनेमा में महिलाओं द्वारा झेली जा रही समस्याओं के समाधान के लिए एक न्यायाधिकरण का गठन करे। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा है कि अगर कोई भी गवाह अपने उत्पीड़कों के खिलाफ शिकायत दर्ज करता है तो सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।

रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म उद्योग के अंदर और बाहर एक नई बहस छेड़ दी है, जिससे बॉलीवुड सहित अन्य फिल्म उद्योग भी नजरें बनाए हुए हैं। देश भर में महिलाओं के अधिकारों के लिए चल रहे आंदोलनों को इस रिपोर्ट ने एक नई दिशा दी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाएं अपने अधिकारों के लिए अब और चुप नहीं रहेंगी।

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