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नई दिल्ली, 20 अक्टूबर 2023

क्या हमारी विदेश नीति एक पक्षीय तो नहीं हो गई?

भगवती डोभाल

मास द्वारा इजराइल पर घुस कर किये गए हमले के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के बयान से तब ऐसा लगा कि फिलीस्तीन को यह संदेश है, यही विश्व ने भी समझा और देश के भीतर भी इलक्ट्रोनिक मीडिया ने भी यह स्पष्ट नहीं किया कि प्रधानमंत्री यानि भारत सरकार फिलीस्तीन को इस घटना के लिए दोषी मान रही है। अब भी अधिकांश मीडिया हमास और फिलीस्तीन के बीच अंतर नहीं समझ पाये। अंतर स्पष्ट है- हमास एक ऐसा ग्रुप है, जो देश के भीतर अपनी उपस्थिति को बनाये रखने के लिए, आगे आने वाले चुनाव में फिलीस्तीन में अपनी सरकार बनाने के लिए ऐसे हतकण्डे अपना रहा है। इस बात में स्पष्ट अंतर है, इसलिए फिलीस्तीन की सरकार हमास के इस कृत्य को देशहित में नहीं समझती। इस बात को हमारे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को भी समझ जाना चाहिए, ताकि ऐसी संवेदनशील स्थिति को बिगड़ने से बचाना चाहिए। आज विश्व दो बड़े धड़ों में बंटता हुआ दिख रहा है, एक का नेतृत्व अमेरिका के हाथ में है और दूसरे का नेतृत्व रूस के हाथों में है। एक जमाने में विश्व इन दोनों के कारण शीत युद्ध में जूझा। आज लगता है कि हम तीसरे विश्वयुद्ध के कगार पर खड़े हो गये हैं। कभी भी हथियारों के नये -नये रूपों के दमन से घायल हो सकता है। इन नये हथियारों की मारक क्षमता से कोई भी देश पीड़ित हो सकता है। इसी प्रसंग को देखते हुए भारत की क्या भूमिका हो सकती है। अब तक गुटनिरपेक्ष रूप में भारत विश्व के सामने खड़ा था। किसी देश के साथ सैन्य संधि के रूप में नहीं था- जैसे नाटो, जिसका नेतृत्व अमेरिका कर रहा है। आज भी अमेरिका उसी धुन में व्यस्त है। यूक्रेन युध्द भी इसी नाटो का परिणाम है। वार्षासंधि के देश बिखर गये हैं, उसका नेतृत्व रूस करता था, वह नेतृत्व भी अमेरिका ने नहीं चलने दिया। सोवियत संघ को डिसमेंटल करवा कर अमेरिका ने समझा कि अब वह विश्व में अपनी नीतियों को थोप सकता है। लेकिन उसका यह सपना साकार नहीं होता दिखता। चाहे यूक्रेन हो या इजराइल, इन दोनों जंगों को हवा देने का काम अमेरिका कर रहा है। इसी कारण विश्व लड़ाई के कगार पर दो   खेमों में चल पड़ा है। ऐसे में भारत की जो गुटनिरपेक्ष वाली नीति थी, उसकी निहायत जरूरत है; पर मोदी सरकार ने अपना पलड़ा अमेरिका की तरफ झुका दिया है। भारत की अपनी निष्पक्ष विदेश नीति पर कायम रहने की जरूरत है। इस बात को विश्व की आमने- सामने तनी  मिसियलों को ठंडा करने का प्रयास करना चाहिए। गुटनिरपेक्ष ही इसका प्रयाय हो सकता है।

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