भारत ने 2024 के सत्र में आम निर्यात के क्षेत्र में एक बड़ी सफलता हासिल की है। इस वर्ष भारत ने लगभग 2.5 लाख टन आमों का निर्यात किया है, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस निर्यात से देश को करीब 4,500 करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद है। भारतीय आम, विशेषकर अल्फांसो, दशहरी, केसर और लंगड़ा, दुनियाभर में बहुत लोकप्रिय हैं और यह भारत के कृषि निर्यात में बड़ा योगदान देते हैं। आम की खेती न केवल देश की अर्थव्यवस्था को मज़बूत करती है, बल्कि किसानों को भी आर्थिक समृद्धि की ओर ले जाती है।
भारत को "आमों का राजा" कहा जाता है और यह विश्व में सबसे बड़े आम उत्पादक देशों में से एक है। भारतीय आम अपनी मिठास, स्वाद और विविधता के कारण पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं। इनके निर्यात से देश की वैश्विक छवि और भी मज़बूत होती है। इसके साथ ही भारतीय कृषि उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय मांग भी बढ़ती है। इस सफलता के पीछे भारतीय किसानों का बड़ा योगदान है, जिन्होंने अपनी मेहनत और समर्पण से भारत को विश्व आम बाजार में मज़बूती से स्थापित किया है।
जैसा कि प्रसिद्ध शायर अकबर इलाहाबादी ने कहा है, "नाम कोई न यार का पैगाम भेजिए, इस फसल में जो भेजिए बस आम भेजिए।" आम का मौसम आते ही इसकी मिठास और सुगंध लोगों को अपनी ओर खींच लेती है। देशभर में आम महोत्सवों का आयोजन होता है और आम की दावतें दी जाती हैं। लखनऊ, दिल्ली, आगरा और कई अन्य शहरों में मैंगो फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है, जहां आम प्रेमी अपने पसंदीदा आमों का आनंद लेते हैं।
आम को फलों का राजा यूं ही नहीं कहा गया है। मुगल बादशाह से लेकर अवध के नवाब और शायरों तक, हर कोई इसकी मिठास का दीवाना रहा है। शायरों और कवियों ने इस पर कई रचनाएँ की हैं। भारत में लगभग सभी राज्यों में आम की खेती होती है, लेकिन उत्तर प्रदेश इस क्षेत्र में सबसे आगे है। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव दशहरी का नाम खास तौर पर आम उत्पादन के लिए जाना जाता है। इस गाँव में एक 200 साल पुराना दशहरी आम का पेड़ है, जिसे "दशहरी का मदर ट्री" कहा जाता है। यह पेड़ दशहरी आम की उत्पत्ति का केंद्र माना जाता है और आज भी हजारों आम हर साल इस पेड़ पर फलते हैं। स्थानीय लोग इसे चमत्कारी पेड़ मानते हैं और इसकी कहानियाँ पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाते आ रहे हैं।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के मलिहाबाद में एक और खास पेड़ है, जिस पर करीब 300 किस्मों के आम उगते हैं। इस अनोखे पेड़ का विकास पद्मश्री से सम्मानित हाजी कलीम उल्लाह खान ने किया है। इस पेड़ की सबसे खास बात यह है कि यह एक ही पेड़ पर विभिन्न प्रकार के आमों का फल देता है। हाजी कलीम को इस अद्भुत कार्य के लिए दुनियाभर में 'मैंगो मैन' के नाम से जाना जाता है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सचिन तेंदुलकर, और ऐश्वर्या राय जैसी हस्तियों के नाम पर भी आम की किस्में विकसित की हैं।
उत्तर प्रदेश में दशहरी आम के अलावा भी कई किस्में पाई जाती हैं, जैसे लखनवा सफेदा, चौसा, लंगड़ा, बॉम्बे ग्रीन और रामकेला, जो व्यापारिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। जौहरी सफेदा और चौसा आम की भी अपनी अनूठी कहानियाँ हैं। जौहरी सफेदा का नाम अवध के नवाब से जुड़ा है, जबकि चौसा आम का नाम शेरशाह सूरी के युद्ध से संबंधित है।
आम की यह विविधता और समृद्धि भारत को वैश्विक आम बाजार में अद्वितीय बनाती है। देश के किसान अपनी मेहनत से इस परंपरा को जीवित रखते हैं और हर साल नई उपलब्धियाँ हासिल करते हैं। आम की यह विरासत देश की पहचान और गौरव को और ऊँचाइयों तक ले जाती है।
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