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चे ग्वेराः क्रांति और प्रेम का अमर नायक

जगदीश्वर चतुर्वेदी

नई दिल्ली, 17 जून 2024

क्रांतिकारियों को जिन लोगों ने नहीं देखा है,क्रांतिकारी विचारों को जिन लोगों ने नहीं पढ़ा है उनके लिए क्रांतिकारियों का व्यक्तित्व,उनका स्वभाव, उनकी आत्मीयता, भाईचारा, संवेदनशीलता जानने का एक ही तरीका है उनके गुणों को जानना और सीखना। ये बातें उन युवाओं के लिए ज्यादा मूल्यवान हैं जो विगत पच्चीस साल में पैदा हुए और बड़े हुए हैं। इन युवाओं ने मार्क्सवाद विरोधी,साम्यवाद विरोधी और क्रांतिविरोधी विचारों को देखा है और सुना है। कारपोरेट मीडिया के प्रतिक्रांतिकारी झंझावात से जो युवा गुजरे हैं उनके लिए क्रांतिकारियों के गुणों को जानना बेहद जरूरी है।

अर्नेस्टो चे ग्वेरा (जन्म:  जून 14, 1928 – निधन: अक्टूबर 9, 1967) एक ऐसा ही क्रांतिकारी था जिसने समूची दुनिया के युवाओं पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वह सारी दुनिया में गुरिल्ला संग्राम के महासेनानी के रूप में जाना गया। सारी दुनिया के गुरिल्ला और गुरिल्ला विरोधी सेनाएं उसके युद्धकौशल से सीखती रही हैं। आज भी उसे गुरिल्ला संग्राम के बेजोड़ योद्धा के रूप में याद किया जाता है। उसे सभी लोग प्यार से चे के नाम से पुकारते हैं।

चे का अपने छात्रजीवन में सबसे अलग चरित्र था। वह अलग दिखता था। चे ने अपनी वेशभूषा पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया। उलझे हुए बाल,फटे हाल जूते और सिलबटें पड़ा जैकेट पहने वह हमेशा चलता रहता था। उसके इर्द-गिर्द अर्जेन्टाइना के युवा लोग अपने जूतों को पालिश से चमकाने और बालों को सुसज्जित रखने में गर्व महसूस करते थे।



लेख एक नज़र में

 

अर्नेस्टो चे ग्वेरा एक क्रांतिकारी थे जिनका समूची दुनिया के युवाओं पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वह सारी दुनिया में गुरिल्ला संग्राम के महासेनानी के रूप में जाने गये। सारी दुनिया के गुरिल्ला और गुरिल्ला विरोधी सेनाएं उसके युद्धकौशल से सीखती रही।

आज भी उसे गुरिल्ला संग्राम के बेजोड़ योद्धा के रूप में याद किया जाता है।

 

उसे सभी लोग प्यार से चे के नाम से पुकारते हैं। चे का अपने छात्रजीवन में सबसे अलग चरित्र था। वह अलग दिखता था। चे ने अपनी वेशभूषा पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया। उलझे हुए बाल,फटे हाल जूते और सिलबटें पड़ा जैकेट पहने वह हमेशा चलता रहता था।
 

उसके इर्द-गिर्द अर्जेन्ताइना के युवा लोग अपने जूतों को पालिश से चमकाने और बालों को सुसज्जित रखने में गर्व महसूस करते थे। आई.लेव्रेत्स्की ने चे के बारे में लिखा है कि अर्नेस्टो अपने तीखे स्वभाव और चुभने वाले हास-परिहास के कारण अलग-थलग दिखाई देता था।

सवाल उठता है कि चे में ऐसी कौन सी चीज थी जो आकर्षित करती थी ? वह थे उसके आंतिरक गुण -उसका शौर्य,साथियों की मदद करने की तत्परता, उसका स्वच्छंद स्वभाव, उसकी कल्पना और सर्वोपरि उसका साहस। अपने गंभीर रोग के बावजूद



आई.लेव्रेत्स्की ने चे के बारे में लिखा है कि अर्नेस्टो अपने तीखे स्वभाव और चुभने वाले हास-परिहास के कारण अलग-थलग दिखाई देता था। सवाल उठता है कि चे में ऐसी कौन सी चीज थी जो आकर्षित करती थी ? वह थे उसके आंतिरक गुण -उसका शौर्य,साथियों की मदद करने की तत्परता,उसका स्वच्छंद स्वभाव,उसकी कल्पना और सर्वोपरि उसका साहस।

अपने गंभीर रोग के बावजूद वह खेलकूद और हँसी मजाक में सबसे आगे रहता था। इस सबके बाद भी उसके और उसके मित्रों के बीच एक अभेद्य सीमारेखा बनी रहती थी जिसे पार करना आसान नहीं था। उसके पास एक काव्यात्मा भी थी। काव्यप्रेम को वह अपने जीवन के अंतिम समय तक छोड़ नहीं पाया था। इसके अलावा उसके पास पुराने रोग से पीड़ित बच्चे का सरलता से घायल होने वाला नाजुक मिजाज था। उसके जीवन में दो अपवाद थे। चिन चीना,जिसे वह बचपन से प्यार करता था और अलबर्टो ग्रैनडास। ये दोनों अपवाद तर्कसंगत थे। चे की सुरक्षित सीमाओं को पार करने का हक सिर्फ इन दोनों को था। इन सुरक्षित सीमाओं को पार करने हक चे जैसे युवा लोग ,या तो महबूबा को देते हैं जो अक्सर मित्र स्वभाव और दिमाग की होती है,या मित्र को,जो अपने मित्र स्वभाव से उतना ही अलग होते हैं जितना कि खरिया मिट्टी और पनीर के स्वभाव में अन्तर पाया जाता है, इसके बावजूद भी वह अपने मित्र के आन्तरिक जीवन में अतिक्रमण नहीं करते , नहीं आत्मिक गुरू और रक्षक होने का दावा पेश करते हैं। वह इतने क्रूर और जालिम भी नहीं होते ,कि मित्रता के एवज में अन्ध समर्पण और शर्तविहीन निष्ठा की मांग करें।

चिन चीना को चे बेइंतहा प्यार करता था। वह उससे शादी भी करना चाहता था। चिन चीना अर्जेन्टाइना के एक बड़े ही समृद्ध सामंत परिवार की बेटी थी। चिन चीना के जीवन में वह सब कुछ उपलब्ध था जो चे के पास नहीं था। वह देखने में बहुत ही सुंदर थी,उसे देखकर लोग आँहें भरते थे। उसके पास बेशुमार दौलत थी और कारडोवा के धनी-मानी परिवारों में चिनचीना की एक प्यारभरी नजर पाने वालों की लंबी लाइन लगी हुई थी। उससे शादी के दीवानों की लंबी लाइन थी। जहां तक चे का सवाल है वह चिन चीना के घर रस्मी दावतों में अपने फटे-पुराने कपड़ों और फटे जूते में जाता था। इसके अलावा उसके तीखे उत्तरों, अभिजातवर्ग के राजनीतिक देवताओं पर तीक्ष्ण कटाक्षों से दम्भी लोग तिलमिला जाते थे।

चे ने एकबार चिनचीना के सामने प्रस्ताव रखा कि वह अपने पिता का घर छोड़ दे,धन -दौलत के बारे में भूल जाए, और उसके साथ वेनेजुएला चले जहाँ वह अपने मित्र अलबर्टो ग्रैनडास के साथ कोढ़ियों की बस्ती में रहकर उनकी सेवा करेगा। परन्तु चिन चीना ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। चिनचीना एक सामान्य लड़की थी और चे से उसका प्यार भी सामान्य ही था।

वह चे के साथ शादी करने को तैयार थी परन्तु इस शर्त पर कि वह उसके साथ रहे या स्पष्ट रूप में कहा जाय कि यदि वह उसकी मर्जी के अनुसार कार्य करे। वेनेजुएला के जंगलों में जाकर कोढ़ियों की सेवा करने की उसकी स्वप्न दृष्टि योजना को चिन चीना महान और मर्मस्पर्शी तो मानती थी । परन्तु उसकी दृष्टि में वह व्यावहारिक योजना नहीं थी। नैतिक रूप से ऊपर उठे हुए और एक साधारण सांसारिक प्राणी के बीच -अर्थात काव्य और घिसे पिटे गद्य के बीच-समझौताविहीन विवाद शुरू हो गया। इस विवाद पर समझौता नहीं हो सका। दोनों में से कोई भी अपनी बात से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं था। फलस्वरूप दोनों एक-दूसरे से अलग हो गए। चिनचीना ने दूसरी जगह शादी कर ली जो सफल रही और चे ने ऐसा मार्ग चुन लिया जहां से पीछे मुड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता था।

(साभार जगदीश्वर चतुर्वेदी)

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