कोरोना महामारी के दौरान बच्चों के जीवन और शिक्षा को बाधित होने से बचाने के लिए कई उपाय किए गए। इनमें से एक था ऑनलाइन पढ़ाई, जिससे बच्चों को संक्रमण के डर के चलते स्कूल जाने की जरूरत नहीं पड़ी। हालांकि, अब वही ऑनलाइन पढ़ाई और स्मार्टफोन पर बढ़ती निर्भरता बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाल रही है। बच्चों के स्मार्टफोन उपयोग के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए अब इसे सीमित करने के लिए कई देशों में जागरूकता बढ़ाई जा रही है।
कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई एक महत्वपूर्ण माध्यम बन गई थी। छोटे बच्चों से लेकर नर्सरी तक के बच्चों को भी ऑनलाइन कक्षाओं में हिस्सा लेना पड़ा। इससे माता-पिता और शिक्षकों पर भी दबाव बढ़ा। मेरे निजी अनुभव में, मेरी पोती की कक्षा में शिक्षक बच्चों को पढ़ाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन बच्चों का ध्यान बनाए रखना मुश्किल हो रहा था। एक शिक्षक ने एक बार एक बच्चे से केले का नाम पूछा, लेकिन वह बच्चा अपनी नींद से जागकर संतरा बोल गया। इस प्रकार के घटनाक्रमों ने दिखाया कि ऑनलाइन पढ़ाई से बच्चों का ध्यान भटक रहा था और उनकी पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ रहा था।
कोरोना के बाद जब स्कूल फिर से खुले, तो ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के बीच स्मार्टफोन का इस्तेमाल भी बढ़ गया। अब इसे लेकर दुनियाभर में चिंता बढ़ रही है कि स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग का बच्चों पर गहरा असर हो रहा है। ब्रिटेन में डेजी ग्रीनवेल और क्लेयर फर्नीहॉफ द्वारा फरवरी में शुरू किए गए 'स्मार्टफोन फ्री चाइल्डहुड' नामक एक अभियान ने तेजी से लोकप्रियता हासिल की, जिसमें कुछ ही हफ्तों में 60,000 से अधिक सदस्य जुड़े। इसका उद्देश्य बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रखना और उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखना है।
लेख एक नज़र में
कोरोना महामारी के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई ने बच्चों की शिक्षा को जारी रखने में मदद की, लेकिन अब यह उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है। स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग के कारण बच्चों में मानसिक समस्याएं बढ़ रही हैं।
ब्रिटेन में 'स्मार्टफोन फ्री चाइल्डहुड' जैसे अभियानों ने इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाई है, जिसमें 60,000 से अधिक लोग शामिल हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 12 साल की उम्र तक 97% बच्चों के पास स्मार्टफोन होता है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
विशेषज्ञों का मानना है कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग बच्चों में आत्म-सम्मान की कमी और अवसाद जैसी समस्याएं पैदा कर रहा है। कई देशों में इस पर नियंत्रण के लिए कदम उठाए जा रहे हैं, जैसे स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध। बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
ब्रिटेन के सरकारी नियामक ऑफकॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, 12 साल की उम्र तक आते-आते 97% बच्चों के पास स्मार्टफोन होता है। अमेरिका में, 10 साल की उम्र में 42% और 14 साल तक 91% बच्चों के पास स्मार्टफोन होते हैं। माता-पिता बच्चों को मनोरंजन के लिए और उनसे जुड़े रहने के उद्देश्य से स्मार्टफोन दे रहे हैं। हालांकि, इसके साथ ही सोशल मीडिया का अत्यधिक उपयोग और संभावित मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ भी बढ़ रही हैं।
स्मार्टफोन का उपयोग बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। एक अध्ययन के अनुसार, जो बच्चे छोटी उम्र में स्मार्टफोन का उपयोग शुरू करते हैं, उनमें मानसिक समस्याओं की संभावना अधिक होती है। रिपोर्ट में पाया गया कि 6 साल की उम्र में पहला स्मार्टफोन पाने वाले बच्चों में मानसिक तनाव अधिक देखा गया, जबकि 15 साल की उम्र में स्मार्टफोन लेने वाले बच्चों में तनाव और मानसिक समस्याएँ कम थीं। यह निष्कर्ष बताता है कि स्मार्टफोन के उपयोग में देरी करने से बच्चों का मानसिक स्वास्थ्य बेहतर रह सकता है। 'द एंग्जियस जेनरेशन' के प्रमुख शोधकर्ता ज़ैक रौश का मानना है कि स्मार्टफोन का अत्यधिक उपयोग बच्चों के लिए हानिकारक है।
उन्होंने कहा कि माता-पिता अपने बच्चों को स्मार्टफोन से दूर रखने के लिए अधिक जागरूक हो रहे हैं। यह स्मार्टफोन और सोशल मीडिया का संयोजन है, जो बच्चों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। सोशल मीडिया के निरंतर उपयोग से बच्चों में आत्म-सम्मान की कमी, अवसाद और शारीरिक छवि से असंतोष जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्य कई देशों में इस विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए कई संगठन काम कर रहे हैं। ‘वेट अनटिल 8थ’ नामक ऑस्टिन स्थित एक संगठन बच्चों के स्मार्टफोन उपयोग को सीमित करने का समर्थन कर रहा है। कनाडा में ‘अनप्लग्ड’ और ऑस्ट्रेलिया में ‘हेड्स अप अलायंस’ जैसे संगठन भी इसी दिशा में काम कर रहे हैं। ब्रिटेन की सरकार ने भी स्कूलों में स्मार्टफोन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। अमेरिका के कुछ राज्यों में भी स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इन उपायों का उद्देश्य बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना और उन्हें स्क्रीन टाइम से दूर रखना है।
स्मार्टफोन बच्चों की पढ़ाई में सहायक हो सकता है, लेकिन इसका अत्यधिक उपयोग उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। माता-पिता और समाज को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बच्चों को स्मार्टफोन का संयमित उपयोग करने दिया जाए।
बच्चों के बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए उन्हें अधिक समय तक स्मार्टफोन से दूर रखने के प्रयास किए जाने चाहिए। वर्तमान में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य को संरक्षित रखना एक बड़ी जिम्मेदारी बन गई है, और इसके लिए हमें एक सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है ताकि हम बच्चों को एक स्वस्थ और खुशहाल बचपन दे सकें।
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