जब किसी प्रिय व्यक्ति की याद को संजोने की बात आती है, तो लोग स्मरण सभाएं, अख़बारों में श्रद्धांजलि, या सोशल मीडिया पोस्ट जैसे विभिन्न माध्यमों का सहारा लेते हैं। कुछ लोग छात्रवृत्ति, पदक या सार्वजनिक स्थलों में योगदान के माध्यम से अपने प्रियजनों को याद करते हैं। लेकिन MBKM फाउंडेशन ने इस परंपरा को एक नया दृष्टिकोण दिया है।
सेवानिवृत्त नौकरशाहों, पेशेवरों और उनके सहयोगियों द्वारा स्थापित यह गैर-लाभकारी संस्था अपने संस्थापक सदस्य डॉ. रमा सहारिया की स्मृति को प्रेरणादायक तरीके से जीवित रखती है। फाउंडेशन का उद्देश्य है—समाज से मिले सम्मान और प्रतिष्ठा को उसी समाज को वापस लौटाना। फाउंडेशन विशेष रूप से उन युवा महिलाओं को पहचानता और सम्मानित करता है, जिन्होंने सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों के बावजूद अपने साहस और कड़ी मेहनत से सफलता पाई है।
फाउंडेशन के महासचिव राजीव माथुर बताते हैं, “हम कोई उत्सव नहीं मनाते, बल्कि उन लड़कियों को सम्मानित करते हैं जिनके संघर्ष और समर्पण को उनके परिवार के सिवा शायद ही कोई जानता हो।” यही दृष्टिकोण MBKM फाउंडेशन को विशिष्ट बनाता है।
फाउंडेशन के संरक्षक, 85 वर्षीय अनुभवी टेक्नोक्रेट आर.एस. अत्रोली, जो पश्चिम रेलवे के विकास में अहम भूमिका निभा चुके हैं, कहते हैं, “हम ऐसी प्रतिभाओं को पहचानकर न केवल समाज को एक संदेश देना चाहते हैं, बल्कि इन पुरस्कार विजेताओं को समाज के अन्य वर्गों के लिए प्रेरणा बनाना चाहते हैं।”
डॉ. रमा सहारिया की स्मृति में स्थापित इस पुरस्कार कार्यक्रम की नींव एक गहरी संवेदनशीलता और सामाजिक प्रतिबद्धता से जुड़ी है। डॉ. रमा एक प्रख्यात शिक्षाविद् थीं, जिन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के तीन कॉलेजों में प्राचार्य के रूप में कार्य किया। एक मनोवैज्ञानिक के रूप में, उन्हें सीमित साधनों वाले परिवारों से आने वाली छात्राओं और संविदा पर काम करने वाले गरीब कॉलेज कर्मचारियों के प्रति विशेष सहानुभूति थी।
उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था—वे शिक्षाविद् थीं, महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर लेखन करती थीं, अच्छी गायिका थीं और बुनाई-कढ़ाई जैसे पारंपरिक कौशल में भी रुचि रखती थीं। यही कारण है कि फाउंडेशन ने चार क्षेत्रों—उच्च शिक्षा, मीडिया लेखन/उत्पादन, सामाजिक कार्य और ललित/प्रदर्शन कला—में उत्कृष्टता प्राप्त महिलाओं को सम्मानित करने का निर्णय लिया।
गत शनिवार को नोएडा में आयोजित दूसरे पुरस्कार समारोह में चार उत्कृष्ट युवा महिलाओं को सम्मानित किया गया:
समारोह की अध्यक्षता पूर्व रक्षा सचिव डॉ. योगेंद्र नारायण ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ नेता सुबोध कांत सहाय उपस्थित थे। मंच पर अन्य प्रतिष्ठित अतिथियों में शिक्षाविद् प्रोफेसर लल्लन प्रसाद, पत्रकार के.बी. माथुर, सामाजिक कार्यकर्ता अशोक श्रीवास्तव, और ब्रह्माकुमारीज के राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक सुशांत शामिल थे।
अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. नारायण ने फाउंडेशन के कार्यों की सराहना की और पर्यावरण और कौशल विकास के क्षेत्रों में महिलाओं को भी आगामी पुरस्कारों में शामिल करने का सुझाव दिया। फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. प्रदीप माथुर ने बताया कि इस सुझाव पर अगली कोर कमेटी बैठक में विचार किया जाएगा।
मुख्य अतिथि सुबोध कांत सहाय ने आधुनिक समाज में संवाद की कमी पर चिंता जताई और MBKM फाउंडेशन की सराहना करते हुए कहा कि छिपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाना और उन्हें मंच देना एक महत्वपूर्ण सामाजिक पहल है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे अधिक से अधिक महिलाओं को आगे बढ़ने का अवसर दें।
इस अवसर पर चयन समिति की अध्यक्ष प्रोफेसर (डॉ.) अर्चना वर्मा और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अशोक श्रीवास्तव ने भी अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम में विभिन्न पत्रकारों और सामाजिक विचारकों ने भी हिस्सा लिया और फाउंडेशन की इस पहल की सराहना की।
कार्यक्रम का संचालन कर्नल मेघा ने किया, जबकि डॉ. अपर्णा माथुर ने पुरस्कार विजेताओं की उपलब्धियों पर आधारित प्रशस्ति पत्र पढ़े। समापन अवसर पर प्रो. प्रदीप माथुर और ऑस्ट्रेलिया से आईं सुश्री आकांक्षा माथुर ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और आयोजकों का आभार प्रकट किया।
इस समारोह ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि समाज की उपेक्षित प्रतिभाओं को मंच मिले, तो वे न केवल खुद को स्थापित कर सकती हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती हैं। डॉ. रमा सहारिया स्मृति पुरस्कार केवल सम्मान का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की एक प्रेरक लहर है।
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